कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

NIRMAL BABA KI JAI !

मै प्रतिदिन पैदा होते नए भगवानो और बाबाओं से बहोत चिढ़ता हूँ मगर मै निर्मल बाबा की तारीफ करना चाहूँगा. अब आप लोगों को थोडा आश्चर्य होगा. इसमें ज्यादा परेशान होने की जर्रोरत नहीं है.
   सबसे पहले तो मै आपको ये बता दूं की निर्मल बाबा उन बाबाओं में से नहीं है जो धर्म का कारोबार करें, अथवा लोगों को कुछ जादू या चमत्कार दिखाकर छोटी सोच वाले लोगों को हतप्रभ करें. निर्मल बाबा उन सरे बाबाओं से कहीं ज्यादा महँ और समझदार हैं. बात को और अच्छे से समझाने के लिए मै एक एक करके सारे बिन्दुओं को समझाता हूँ की क्यूँ  मैंने  निर्मल बाबा को ज्यादा समझदार कहा .
१-  किसी भी बिजनेस को करने के लिए हमें मनी, मैन, मशीनरी और मैनेजमेंट की आवश्यकता होती है. मगर निर्मल बाबा ने केवल मैनेजमेंट का प्रयोग किया, और मैन तथा मनी को उन्होंने  मैनेजमेंट के बल पर बना लिया. अन्य बाबाओं की तरह उन्होंने की किसी चमत्कार और जादू का सहारा भी नहीं लिया.  तो इन्हें  मैनेजमेंट गुरु की उपाधि देनी चाहिए.
२- दूसरी बात आजकल के लगभग बाबा किसी विशेष धर्म अथवा सम्प्रदाय के के आधार पर अपने को खड़ा करते हैं. उनकी समस्या निराकरण विधि किसी न किसी धर्म पर आधारित होती है , परन्तु निर्मल बाबा समस्याओं को हल करने का जो तरीका बताते हैं वो कोई भी आसानी से कर सकता है. ये भी निर्मल बाबा की एक नीति है. इस प्रकार की नीति अपना कर निर्मल बाबा हर धर्म तथा संप्रदाय के लोगों को अपना भक्त बना सकते हैं. ये उनकी व्यापारिक दूरदर्शिता को दर्शाता है .
३- एक सबसे मुख्य बात , निर्मल बाबा ने कभी भी किसी धर्म और भगवान के बारे में नहीं बोला जिससे की किसी की भावनाएं आहत हों. उन्होंने ने शायद सरे पुराने बाबाओं पर काफी शोध करने के बाद अपना अजेंडा बनाया होगा. उन्होंने NE झबरे बाल वाले साईं बाबा की तरह अपने मुंह से शिवलिंग नहीं निकाला. अब ये बात तो मेरी समझ में नहीं आई की इतने चमत्कारी बाबा खुद अपनी भविष्यवाणी गलत सिद्ध कर गए और अपनी बताई तिथि से कुछ साल पहले ही दुनिया छोड़ गए. ये बात शायद निर्मल बाबा ने भी महसूस किया होगा इसलिए वो इस तरह के बातों से दूर हैं. निर्मल  बाबा ने रामदेव की तरह योग का भी सहारा नहीं लिया. क्यूंकि महीने भर बिना खाए पिए स्वस्थ रहने का दावा करने वाले रामदेव बाबा दिल्ली में अनशन के दौरान मात्र तीन दिन में लुंज पुंज हो गए थे. निर्मल बाबा जानते हैं की इस तरह की विधियाँ ज्यादा कारगर नहीं. इसलिए उन्होंने ऐसी विधि अपनाई जो हर परिस्तिथि एवं देश काल में की जा सकें. उन्होंने हर इन्सान को वही करने को कहा जो वो करने की इच्छा रखता हो तथा   कर सकता है. जैसे शुगर  वाले मरीज को चीनी  खाने को कहा.
४- और अंत में निर्मल बाबा की वो बात जिसने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया. वो ये की उन्होंने ने दिखा दिया की मूर्खों को अपने इशारों पर नचाना कितना आसान होता. अभी तक हमारे नेताओं, धर्मगुरुओं, तथा बाबाओं ने लोगों को देश, जाती, धर्म आदि के आधार पर नचाया. मगर वो किसी विशेष धर्म अथवा संप्रदाय विशेष में ही अपनी पहचान बना पते हैं .मगर  निर्मल बाबा ने सिद्ध किया की लोग तो सोचने से कहीं  ज्यादा मूर्ख हैं. उन्होंने तो न मौलाना बुखारी के नीति अपनाई, न विनय कटियार की, न तो बाबा रामदेव की तरह उन्होंने काले धन का नाम लेकर नेताओं से दुश्मनी मोल लिया, न तो उन्होंने ने राज ठाकरे की तरह किसी विशेष प्रदेश का विरोध कर अपने को सीमित किया.  निर्मल बाबा तो हर तरह के लोगों के लिए हैं .

अंत में मै यही कहना चाहूँगा की की निर्मल बाबा हमारे सभी बाबाओं , नेताओं, व्यापारियों से श्रेष्ठ हैं. उनके विचार से कोई भी व्यक्ति लाभ उठा सकता है. वो सभो जाती तथा धर्म के लोगों से उनकी कमी का दसवा हिस्सा लेने को तैयार हैं.....
अब अगर निर्मल बाबा का व्यापर थाप होता है तो उनमे उनका कोई दोष नहीं. क्यूंकि ये तो हमारी फितरत में है की हम किसी को बहोत दिन तक एक ही स्थान पर नहीं रहने देते. हर FRIDAY को हमारा बेस्ट एक्टर बदल जाता है, एक मैच के  जीतने पर हमारे क्रिकेटर भगवान बन जाते हैं, और अगर हार गए तो हम उन्हें जूते मरने में भी गुरेज नहीं करते . हम ३ महीनो के लिया हम अन्ना जी गाँधी बना सकते हैं और बाद में हमारे नेता उन्हें भ्रष्ट कह सकते हैं... तो ऐसे देश और परिस्तिथियों में अगर निमल बाबा का व्यापर ५-६ साल चल गया तो बहोत है....
          जय निर्मल बाबा....