मत पूछो इस दुनिया में मैंने क्या क्या देखा है
रावण की इस नगरी में राम को जलते देखा है
रिश्तों के देखे बाज़ार, mamta को bante देखता है
jo रखवाले थे उनके द्वारा मैंने घर लुटते देखा है
और कहूँ क्या इससे ज्यादा मैंने क्या क्या देखा है
मुर्दों की इस बस्ती में जिन्दों को जलते देखा है
कोई किसी का नहीं यहाँ पर कैसे दुश्मन कैसे दोस्त
मतलब के सांचे में bas रिश्तों को ढलते देखा है
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sahi kaha sir ji...
जवाब देंहटाएंKya baat batai sir ji...
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