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बुधवार, 10 अगस्त 2011

AAJ KA DAUR...

 मत पूछो इस दुनिया में मैंने क्या क्या देखा है
  रावण की इस   नगरी में राम को जलते देखा है

रिश्तों के देखे बाज़ार, mamta को bante देखता है
jo रखवाले थे उनके द्वारा मैंने घर लुटते देखा है

 और कहूँ क्या इससे ज्यादा मैंने क्या क्या देखा है
 मुर्दों की इस बस्ती में  जिन्दों को जलते देखा है

 कोई किसी का नहीं यहाँ पर कैसे दुश्मन कैसे दोस्त
 मतलब के सांचे में  bas रिश्तों को ढलते देखा है

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